Img

naya india

9 months ago

कहानी में अब है क्या! ‘गपशप’ लिखते-लिखते चालीस साल बाद अब वह मुकाम है जब न सुर्खियों और चेहरों से कहानी निकलती है और न सत्ता और राजनीति से कहानी में तड़का है। सोचें, इस सप्ताह क्या था? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ जस्टिस के घर जा कर कहानी बनानी चाही। परिणाम क्या हुआ? मराठी टोपी, ड्रेस, गणेश पूजा के फोटो के बावजूद मोदी महाराष्ट्र में क्लिक नहीं हुए। उलटे चीफ जस्टिस बदनाम हुए। यह अखिल भारतीय मैसेज अलग से बना कि मोदी के साथ खड़ा दिखना भी खराब! फिर आरोपी आतंकी इंजीनियर राशिद के जेल से छूटने की खबर। पर क्या इससे घाटी में मोदी-शाह का कोई चमत्कार संभव है? इसलिए घटना राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा की हो या शिमला में मस्जिद को हटवाने के लिए हिंदुओं की उमड़ी भीड़, इस सबसे कहानी बढ़नी नहीं है, न नया कुछ होना है। भारत की कहानी की दशा-दिशा और नियति अब ढर्रे में है। और यह बात चुनावों पर भी लागू है। यह चर्चा भी महज टाइमपास के लिए है कि हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड या महाराष्ट्र में क्या होगा? इसलिए क्योंकि नतीजे तय हैं। नरेंद्र मोदी और भाजपा के पास बचा क्या है जो इन प्रदेशों में मुकाबला बने। दूसरे शब्दों में कहानी का वह आश्चर्य खत्म है कि मोदी है तो सब मुमकिन है। कहानी अब बिना भगवान के है। नरेंद्र मोदी को भगवान बनना था बन गए। अमित शाह को सर्वशक्तिमान अब्दाली बनना था बन गए। भारत का राष्ट्रपति हो, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और याकि 140 करोड़ लोगों के कथित भाग्यविधाता सब अपनी अपनी जात, अपनी असलियत बता चुके हैं तो कहानी के पात्रों में स्पार्क, कुछ नया भाव, उनसे नया मोड़ संभव ही नहीं है। https://www.nayaindia.com/opinion/harishankar-vyas/analysis/gupshup-politics-pm-narendra-modi-rahul-gandhi-472791.html

Loading...